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लेखनी प्रतियोगिता -10-Dec-2023सफलता

आल्हा छंद
सृजन शब्द -सफलता

जीवन की बाधा के आगे, झुकते कब है मनुज महान।
शूलों भरा पंथ लगता है, उनको मानो फूल समान।।

 श्रम की चाबी से ही खुलता, यहाँ भाग्य का देखो द्वार।
यत्न करो तुम मत घबराना, यही सफलता का आधार।।
आस जीत की नित ही रखना,होगी हर बाधा आसान।
जीवन की बाधा के आगे, झुकते कब हैं मनुज महान।।

आशा के जगमग दीपों से,कर लो रोशन अपनी रात।
नहीं कभी भी धीरज खोना,चाहे जैसी भी हो बात।।
साथ रखे जो आस-खजाना,वही मनुज होता धनवान।
जीवन की बाधा के आगे, झुकते कब हैं मनुज महान।।

जीवन बाधा से घबराकर, मत होना तुम कभी निराश।
सदा शौर्य आरी से तोड़ो,बाधाओं का गहरा पाश।।
लगन लगे जब मन में सच्ची, मानव पा लेता भगवान।
जीवन की बाधा के आगे,झुकते कब हैं मनुज महान।।

स्थायी भाव-उत्साह
उद्दीपन- वीर मनुज
आश्रय-कवि हृदय
विषय- बाधाओं से न हारने वाले व्यक्ति
अनुभाव- कवि के मन में आशा का संचार होना
पंच लाइन- सच्ची लगन होने से ईश्वर का मिल जाना

प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित।

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6 Comments

बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Rupesh Kumar

11-Dec-2023 06:41 PM

शानदार

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Sushi saxena

11-Dec-2023 01:41 PM

V nice

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